बुद्ध, सामाजिक रोग चिकित्सक

प्रस्तावना : धम्मपद  मे कहाॅ गया है-‘आरोग्य परमा लाभा‘ अर्थात आरोग्य श्रेष्ठ लाभ है | मानवी जीवन सुखपूर्वक व्यतीत करने के लिये शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्वास्थ की आवश्यकता होती है।मनुष्य सामाजिक जीव है। मनुष्य को कुशलक्षेम सामाजिक जीवन व्यतित Read More

पालि साहित्य में मनोरोग चिकित्सा का विश्लेषण

  पालि साहित्य संशोधन के प्रत्येक आयाम से संपन्न है |  पालि साहित्य में शारीरिकरोग चिकित्सा एवं मनोरोग चिकित्सा के विषय में भी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है | पालि साहित्य में मनोविज्ञान का विश्लेषण : मनोविज्ञान में मनुष्यों के Read More