प्राचीन भारतीय साहित्य में समाविष्ट वंस ग्रंथ
प्राचीन भारतीय भाषाओं में वंस साहित्य की रचना हुई है। भारतीय साहित्य में ‘वंस’ या ‘वंश’ के नाम से साहित्य की रचना की गई है। प्रस्तुत लेख मुख्य रूप से प्राचीन भारतीय साहित्य के संदर्भ से Read More
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प्राचीन भारतीय भाषाओं में वंस साहित्य की रचना हुई है। भारतीय साहित्य में ‘वंस’ या ‘वंश’ के नाम से साहित्य की रचना की गई है। प्रस्तुत लेख मुख्य रूप से प्राचीन भारतीय साहित्य के संदर्भ से Read More
प्रस्तावना : पाली साहित्याच्या महत्तेचे मुल्याकंन केल्यास असे आढळुन येते की भारतीय साहित्यामध्येच नव्हे तर जागतिक साहित्यामध्ये देखील पाली साहित्याला अतिशय महत्वपुर्ण स्थान आहे. साहित्याच्या नानाविधा पाली साहित्यामध्ये आढळुन येतात. पाली साहित्याचे अवलोकन केल्यास पाली साहित्य साहित्यीक वैशिष्टयांनी संपन्न असल्याचे Read More
भगवान बुद्धाची वाणी पाली सुत्तां द्वारे निरंतर गतीमान राहीलेली आहे आणि लोकांच्या मनात बौद्धधम्माप्रति श्रध्दाभाव जागृत करीत राहीलेली आहे.भगवान बुद्धाचा उपदेश अर्थात बुद्धवचनाचा क्रमिक विकास संगीतिंद्वारे होत गेला. तसेच हेच बुद्धवचन साहित्यीक स्वरूपात तिपिटकाच्या रूपात आज उपलब्ध आहेत. दीपवंसामध्ये तिपिटक Read More
पाली साहित्याच्या निर्मितीचा इतिहास समजण्यासाठी संगीतिंचे अध्ययन करणे अत्यावश्यक आहे. संगीतिंच्या अध्ययना शिवाय पाली साहित्याची निर्मिती जानणे शक्य नाही आहे. दीपवंसाद्वारे पाली साहित्याच्या निर्मितीचा इतिहास स्पष्ट होतो. वर्तमान कालीन साहित्य पुर्वी त्या स्वरूपात नव्हते. या साहित्याचा क्रमिक विकास होत Read More
पाली भाषा आणि साहित्याचे महत्व पाली भाषेचे महत्व अनन्यसाधारण आहे, त्याचप्रकारे विश्वाच्या ब्रृहद साहित्य भांडारात पाली साहित्याचा समावेश होतो.पाली साहित्य तिपिटक साहित्य, अट्ठकथा साहित्य, व्याकरण साहित्य, कोश साहित्य, टीका साहित्य, अनुटीका साहित्य इ. साहित्य प्रकारात विभाजीत आहे. याच प्रकारे वंस Read More
इ.पू.तिसरी सदी में सम्राट अशोका द्वारा आयोजित तृतीय संगीति समाप्त होने के बाद मोग्गलीपुत्र तिस्स ने भविष्य को देखते हुए प्रत्यन्त देशों में शासन की स्थापना विचार कर कार्तिक मास में उन उन स्थविरोंको उन उन स्थानों पर भेजा ।सम्राट Read More
भगवान बुद्धाच्या उपदेश शैलीचे विश्लेषण केल्यास त्यामध्ये- (1) समर्पक उदाहरण शैली (2) प्रसंगानुरूप मार्गदर्शन (3) तार्किक क्षमता इत्यादींचा अंर्तभाव होतो. या पेक्षा अधिक विशेषता भगवान बुद्धाच्या उपदेश शैलीच्या सांगता येतात. 1.1 समर्पक उदाहरण शैली: भगवान बुद्ध हे कुशल मनोवैज्ञानिक देखील Read More
प्राचीन भारतीय भाषेमध्ये वंस साहित्याची निर्मिती झालेली आहे. भारतीय साहित्यामध्ये ‘वंस’ किंवा ‘वंश’ या नावानेे साहित्यनिर्मिती करण्यात आलेली आहे. प्रस्तुत लेखामध्ये प्रामुख्याने प्राचीन भारतीय साहित्याच्या संदर्भात विचार केलेला आहे. या दृष्टीकोनातुन 1. वैदीक साहित्य 2. संस्कृत साहित्य 3. प्राकृत साहित्य Read More
प्रस्तावना :- इसा पुर्व तिसरी शताब्दी में थेर महिन्द द्वारा श्रीलंका में बौद्धधम्म का प्रवेश हुआ। थेर महिन्द एवं थेरी संघमित्रा के प्रयासों द्वारा शीघ्र ही श्रीलंका बौद्धमय हो गया। श्रीलंका में बौद्ध स्थापत्य कला का उगम एवं विकास भी Read More
प्रस्तावना :- पालि साहित्य में साहित्य के अनेक प्रकार पाये जाते है। पालि साहित्य में इतिहास साहित्य प्रकार वंस साहित्य के नाम से प्रचलित है। वंस साहित्य की निर्मिति श्रीलंका, म्यानमार और थायलंड इ. बौद्ध राष्ट्रों में हुयी है। दीपवंस Read More