पालि का अर्थ:

पालि के अर्थबोध के विषय में विद्वानों में मतभिन्नता दिखाई देती है। कुछ विद्वानोंने पालि का अर्थ पंक्ति किया है। व्याकरणकारों ने निम्न प्रकार से पालि का अर्थ स्पष्ट किया है .- ‘ पा पालेति रक्खति ति पालि’ ‘पालेति‘ का अर्थ पालन करना तथा ‘रक्खति’ का अर्थ रक्षण करना है। अर्थात जो बुद्धवचन का पालन करती है , रक्षण करती वह पालि  है ।

पालि भाषा का उगम :

पालि भाषा यह भारत की प्राचीन भाषा है। बुद्धवचन का वहन करने का महत्वपूर्ण कार्य पालि भाषाने किया है। भगवान बुद्ध ने बुद्धत्व प्राप्ती से महापरिनिब्बाण पर्यंत निरंतर ४५ वर्षे धम्मोपदेश पालि भाषा के माध्यम से दिए है। भगवान बुद्ध का काल ईसा पूर्व छठी शताब्दी है। निश्चितही पालि भाषा ईसा पूर्व छठी शताब्दी के पूर्व से प्रचलित रही होगी। पालि भाषा को मागधी भी कहा जाता है। यह भाषा प्राचीन मगध प्रांत में बोली जाती थी।

पालि भाषा के अध्ययन का महत्व :

बुद्ध ने अपने उपदेश पालि भाषा में दिए है । बुध्दवाणी के संकलनाद्वारा एवं यथासमय में संपन्न हुयी संगीती द्वारा पालि साहित्य की निर्मिती हुयी है। बौद्ध धम्म यह धर्म नहीं तो जीवन जीने मार्ग हैं। बुद्ध यह मार्गदर्शक हैं। बुध्दवाणी यह दुःख से मुक्त करके निर्वाण की ओर अग्रेसर करनेका महत्व पुर्ण कार्य करती है। बुद्ध ने मानव जीवन के हर पक्ष पर भाष्य किया है। बुद्ध का धम्म नैतिक जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है।
बुद्ध के धम्म में कम्म को महत्वपूर्ण स्थान है-

न तं कम्मं कतं साधु, यं कत्वा अनुतप्पति।
यस्स अस्सुमुखो रोदं, विपाकं पटिसेवति॥

(वह कर्म करना योग्य नहीं जिसे करने के पश्च्यात पश्याताप करना पड़े और जिसका विपाक अश्रुमुख हो रोते हुए भोगना पड़े। )

तञ्‍च कम्मं कतं साधु, यं कत्वा नानुतप्पति।
यस्स पतीतो सुमनो, विपाकं पटिसेवति॥

(वह कर्म करना योग्य है जिसे करने के पश्च्यात पश्याताप ना करना पड़े और जिसका विपाक प्रसन्नचित्त होकर अच्छे मन से भोगा जा सके । )

बुद्ध का धम्म समानता के तत्त्व पर आधारित है। बुद्ध की शिक्षाएँ इस प्रकार हैं-

सब्ब पापस्स अकरणं कुसलस्स उपसम्पदा ।
सचित्त परियोदपनं इतं बुद्धान सासनं ।।

(सभी अकुशल कर्मों का न करना, कुशल कर्मों का संचय करना, अपने चित्त को परिशुद्ध करना -यही बुद्धों की शिक्षा है।)

बुद्धवाणी को जानने के लिए पालि भाषा का अध्ययन करना आवश्यक है।

पालि व्याकरण के अध्ययन की आवश्यकता :

किसी भी भाषा में लिखने, पढ़ने, बोलने के कुछ निश्चित नियम होते हैं। भाषा के व्याकरण के माध्यम से इस बारे में जानकारी प्राप्त होती है।व्याकरण भाषा के अध्ययन का एक महत्वपूर्ण भाग है।किसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा की शब्दावली और व्याकरण के ज्ञान की आवश्यकता होती है। इसी तरह पालि भाषा सीखने के लिए भी पालि शब्दावली और व्याकरण के ज्ञान की आवश्यकता होती है।

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