बुद्धवाणी अर्थात बुद्धवचन को तिपिटक कहा गया है।पाली तिपिटक में भगवान बुद्ध के उपदेशों की भाषा को मागधी कहा गया है।
मागधी का अर्थ :
मागधी उस प्राकृत का नाम है जो प्राचीन काल में मगध प्रदेश में प्रचलित थी। यह मगध देश की बोलभाषा थी।
मागधी का उल्लेख :
इस भाषा का उल्लेख महावीर और बुद्ध के काल से मिलता है। जैन आगमों के अनुसार तिर्थंकर महावीर का उपदेश इसी भाषा अथवा उसी का रूपांतर अर्धमागधी प्राकृत में होता था।
तिपिटक :
बौद्ध धम्म का प्रमुख ग्रन्थ है तिपिटक जिसे सभी बौद्ध सम्प्रदाय मानते है। यह बौद्ध धम्म के प्राचीनतम ग्रन्थ है जिसमें भगवान बुद्ध के उपदेश संग्रहित है। यह ग्रंथ पालि भाषा में लिखा गया है और विभिन्न भाषाओँ में अनुवादित है।
तिपिटक की रचना :
तिपिटक में भगवान बुद्ध द्वारा बुद्धत्व प्राप्त करने के समय से महापरिनिर्वाण तक दिए हुए प्रवचनों को संग्रहित किया गया है।
तिपिटक का रचनाकाल :
तिपिटक का रचनाकाल या निर्माणकाल ईसा पूर्व 500 से ईसवी पहली सदी है। क्रमश: तिपिटक का विकास हुआ।
तिपिटक लिपिबद्ध :
तिपिटक की निर्मिति भारत में हुयी,परन्तु तिपिटक लिपिबद्ध सिंहल में हुआ। सभी तिपिटक सिंहल देश यानी की श्रीलंका में लिखा गया और उनकी भाषा में लिखा गया।
पालि भाषा की प्राचीनता :
बुद्धकालीन अवशेष भी मिले है, अशोक के समय के तो शिलालेख भी मिले थे, इसलिए कह सकते की पालि बहुत प्राचीन भाषा है जो बहुत व्यापक स्तर पर बोली जाती थी। साथ ही तिपिटक साहित्य भी बहुत प्राचीन है।