इ.पू.तिसरी सदी में सम्राट अशोका द्वारा आयोजित तृतीय संगीति समाप्त होने के बाद मोग्गलीपुत्र तिस्स ने भविष्य को देखते हुए प्रत्यन्त देशों में शासन की स्थापना विचार कर कार्तिक मास में उन उन स्थविरोंको उन उन स्थानों पर भेजा ।सम्राट अशोक ने राजनीति को धम्मनीति में परिवर्तित किया था। बुद्ध धम्मके प्रचार प्रसार से देश की अंतर्गत सुव्यवस्था और शांति स्थापना करना, तथा आंतरराष्ट्रीय स्तरपर मैत्रीपूर्ण संबंध प्रस्थापित करना उद्देश्य था।
स्थविर मज्झन्तिक को कश्मीर और गन्धार को भेजा और महादेव स्थविर को महिष्मंडल भेजा। रक्षित नामक स्थविर को वनवास की ओर भेजा ,और यवन धम्मरक्षित को अपरान्त (समुद्र तटीय मुंबई सुरत प्रदेश) देश मेंभेजा ।महाधर्मरक्षित नामक स्थविर को महाराष्ट्र में और महारक्षित स्थविर को यवन लोगों में भेजा।हिमवन्त (हिमाचल)प्रदेश में मज्झिम स्थविर को भेजा और स्वर्णभूमि में सोण और उत्तर दो स्थविरोंको भेजा।महामहिन्द्र स्थविर को पांच स्थविरोंके साथ लंका भेजा था।
इन स्थविरोंमें से महादेव स्थविर महिष्मंडल भेजा था ।यह महिष्मंडल आधुनिक खानदेश,नर्मदा नदी से दक्षिण का प्रदेश है।महादेव स्थविर ने महिष्मंडल देश में जाकर वहां के लोगोंको देवदूत सुत्त (पालि मज्झिम निकाय का सुत्त)का उपदेश किया।जिस से चालीस हजार लोगोंके धर्मचक्षु खुल गये, और चालिस हजार लोगोने उनके पास प्रवज्या ग्रहण की। इस तरह उन्होंने इस प्रदेश में बुद्ध धम्म का प्रचार प्रसार हुआ था।अरहंत भिक्षु पहाडोंके गुफाओं कंदाहारो. वनो मे निवास करते थे।
आज जो सातमाला की पहाड़ियों की जो महादेव गुफाएं ,नागद्वार,इ.स्थान महादेव स्थविर से ही संबधित हो सकते है। पूर्व विदर्भ से पवनी ,अडम ,स्थित प्राचीन स्तूपावशेष प्राप्त हुए. पवनी स्थित जगन्नाथ पहाडी स्तूप प्राचीन काल में आंतरराष्ट्रीय ख्याति का स्थल था। पवनी स्थित स्तुप भगवान बुद्ध की अस्थिधातू पर निर्मित है.पवनी के ही दुसरे सुलेमान पहाडी स्तुप में अर्हत भिक्खु की अस्थिधातू प्राप्त हुई है । ये अस्थिधातू अर्हत भिक्खु महादेव की हो सकती है। यहाँ प्राप्त हुए अभिलेख से पता चलता है कि ये विशाल स्तुप उपासक उपासिका द्वारा , निर्मित है। भिक्खुणीयोंका भी योगदान है। इस प्रदेश के लोगो में महादेव के संबधित जो प्रगाढ श्रद्धा है, संस्कृति रूढ है ,वह बौद्ध संस्कृति से संबधित दृष्टीगोचर होती है।
उत्तर महाराष्ट्र की गुफाओं को देखने से ऐसा प्रतीत होता है की यहाँ बुद्धिझम की जड़ें मजबुत हो चुकी थी.सम्राट अशोक ने धम्म यात्रा का प्रारंभ किया था।इस प्रथा का अनुसरण पूर्व महाराष्ट्र के लोगोने किया होगा। महादेव स्थविर लोकप्रिय हो गये होगे। और जहाँ, जिस पहाड़ी गुफाओं में महादेव स्थविर निवास करते थे उस स्थल को उपासक उपासिकाएं दान देने, धम्म सुनने ,दर्शन करने ,हेतु दूर दूर के स्थानों से पैदल वह भी बगैर पादत्राण पहने यात्रा करते आते होगे ।आज भी वही प्रथा चालू है। बुद्ध धम्म लुप्त होने के बाद उस यात्रा का स्वरुप बदल गया है।
संदर्भ:
महावंस ,पवनी रिपोर्ट